ISSN : 2231-4989
आज मैंने अपने मोबाईल से एक नंबर डीलीट कर दिया हमेशा के लिए ! कल जी-मेल खाते से एक ई-मेल आई॰डी॰ भी डीलीट कर दूंगा, लेकिन अपनी गहन स्मृतियों से उस नाम को नहीं मिटा पा रहा हूँ, जो डा॰ अंजली सिन्हा के भातृत्व प्रेम के प्रत्युत्तर स्वरूप मेरे अन्तर्मन के हर कोने में मौजूद है। और यहीं विज्ञान की सीमा भी स्वत: सीमांकित हो जाती है अन्यथा कोई कारण नहीं था इस होनहार एवं उभरते हुए भाषाविद का हम लोगों से दूर होने का। इसी सीमा को लखनऊ स्थित एक निजी अस्पताल के डाक्टरों ने महसूस किया और बीमारी को लाइलाज बताया था, जिसने अंतत: 7 मई को डा॰ अंजली सिन्हा के क्रियाकलापों पर हमेशा के लिए विराम लगा दिया। एक लंबे अंतराल से भारतीय भाषा संस्थान, में कार्यरत डा॰ अंजली ने बीएचयू से समाजभाषाविज्ञान में पीएचडी किया था, उन्होने इस संस्थान में विभिन्न पदों पर कार्य किया था। अपने मिलनसार व्यक्तित्व और सर्जनात्मक कार्यशैली उनको औरों से अलग करती थी। अंत में हम नमन करते हैं उस विशाल व्यक्तित्व की स्वामिनी को, जिनकी दैहिक अनुपस्थिति के बावजूद हम लोग उनको अपनी स्मृतियों से नहीं मिटा पायेंगे।
अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी
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