दक्षिण भारत में हिंदी की स्थिति : समस्याएँ एवं अवसर

केंद्रीय हिदी संस्थान, मैसूर केंद्र द्वारा दिनांक 23-06-2023 को केंद्र पर ‘दक्षिण भारत में हिंदी की स्थिति: समस्याएँ एवं अवसर’ परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें कर्नाटक राज्य के अनेक जिलों से हिंदी शिक्षकों, प्राध्यापकों व हिंदी सेवियों ने सहर्ष भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी द्वारा की गई। कार्यक्रम में कर्नाटक की हिंदी विद्वान प्रो. प्रतिभा मुदलियार, पूर्व विभागाध्यक्ष, मैसूर विश्वविद्यालय, सुविख्यात प्रो. टी.आर. भट्ट, पूर्व विभागाध्यक्ष, धारवाड़ विश्वविद्यालय, डॉ. एस. ए. मंजुनाथ, हिंदी विभागाध्यक्ष, पोम्पेई कॉलेज, मैंगलोर एवं डॉ. विजी एस, हिंदी शिक्षक मैसूर आदि अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। परिचर्चा का आरंभ केंद्रीय हिंदी संस्थान, मैसूर केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. परमान सिंह द्वारा अतिथि वक्ताओं के स्वागत एवं परिचय से हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित कर्नाटक राज्य प्रौढ़शाला हिंदी शिक्षक संघ, बैंगलोर के राज्याध्यक्ष श्री धर्मराज राठौर द्वारा समस्त कर्नाटक हिंदी प्रेमियों की तरफ से माननीय निदेशक को पुष्प माला व शाल से सम्मानित किया गया। इसी कड़ी में केंद्र प्रमुख डॉ. परमान सिंह का सम्मान सचिव श्री मंजुनाथ जी द्वारा हुआ। तत्पश्चात संस्थान द्वारा सभी अतिथि वक्ताओं का स्वागत व सम्मान किया गया।

परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए प्रो. प्रतिभा मुदलियार ने कर्नाटक में एनईपी की व्यवहारिक समस्या की तरफ अध्यक्ष महोदय का ध्यान आकर्षित किया, साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर हिंदी की समृद्धि के लिए क्षेत्रीय स्तर पर पाठ्यक्रमों में परिवर्तन की बात कही। अतिथि वक्ता के रूप में प्रसिद्ध भाषाविद व हिंदी कन्नड़ अध्येता कोश के प्रधान प्रो. टी.आर भट्ट ने अपने संभाषण में हिंदी को हिंद की भाषा कहा। दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार प्रसार को लेकर उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे अपने विद्यार्थियों तक हिंदी को हिंदी सप्ताह, हिंदी कार्यक्रम व हिंदी प्रतियोगिता आदि माध्यमों से पहुचाएं। अगले अतिथि वक्ता के रूप में कर्नाटक राज्य हिंदी प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. एस. ए मंजुनाथ ने जमीनी स्तर पर एनईपी में सुधार की बात कही। उन्होंने हिंदी के प्रचार प्रसार में हिंदी शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति के मुद्दे को अहम् बताया। हिंदी के प्रति राज्य की दृष्टि को इंगित करते हुए उन्होंने बताया कि पहले हिंदी छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति अब बंद कर दी गई है जिसको प्रारंभ करने की आवश्यकता है। मैसूर के हिंदी प्राध्यापक डॉ. विजी.एस ने हिंदी को एकता की भाषा कहा। साथ ही कर्नाटक में त्रिभाषा सूत्र जारी रखने को सभी हिंदी शिक्षकों का ध्येय माना। कार्यक्रम में अतिथि वक्ताओं के अतिरिक्त कर्नाटक राज्य प्रौढ़शाला शिक्षक संघ, बैंगलोर के राज्याध्यक्ष श्री धर्मराज राठौर, विशप कॉटन कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार यादव, मैसूर की हिंदी लेखिका अमिता सक्सेना सहित अन्य कई विद्वानों एवं शिक्षकों ने भी अपनी बात रखी. 

          कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील कुलकर्णी जी ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कर्नाटक राज्य के हिंदी शिक्षकों की समस्याओं व उनके संघर्ष को देखते हुए कहा कि शिक्षक का संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन में जितना स्वतंत्रता सेनानियों का था उतना ही योगदान हिंदी का रहा, बावजूद इसके स्वतंत्रता के बाद लम्बे समय तक हिंदी ने परित्यक्ता का दर्द झेला। उन्होंने यह भी बताया कि हिंदी को आम जन तक पहुँचाने का कार्य तत्कालीन हिंदी कवियों ने बखूबी किया। इसके लिए उन्होंने मैथलीशरण गुप्त, माखललाल चतुर्वेदी व भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे कवियों का जिक्र किया। दक्षिण में हिंदी की स्थिति को लेकर कुलकर्णी जी ने स्पष्ट किया कि जिस प्रकार भक्ति का स्रोत दक्षिण से उत्तर की ओर गया ठीक उसी प्रकार हिंदी का प्रवाह भी दक्षिण से उत्तर की तरफ होता आया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान के संस्थापक पद्म भूषण मोटूरी सत्यनारायण जी को बताया। अपनी बात को विस्तार देते हुए उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान की गतिविधियों से सबको अवगत कराया. साथ ही वर्तमान सत्र से संस्थान द्वारा हिंदी भाषा कौशल, जनसंचार, अनुवाद, पाठ-संपादन एवं अशुद्धि शोधन जैसे आयोजित नियमित संध्याकालीन पाठ्यक्रमों की जानकारी दी। हिंदी को स्किल व टेक्नोलॉजी से जोड़ते हुए कुलकर्णी जी ने हिंदी हेतु मल्टी स्किल पर भी जोर दिया। अपनी बात को सारगर्भित करते हुए कुलकर्णी जी ने एनईपी के अंतर्गत त्रिभाषा सूत्र पर अपनी सहमती जताई साथ ही कर्नाटक राज्य के सभी संघर्षरत शिक्षकों को आश्वस्त किया कि वे उनकी मांग को उचित मंच पर रखने का पूरा प्रयास करेंगे। डॉ. परमान सिंह ने कार्यक्रम में सम्मलित निदेशक सहित सभी अतिथि वक्ताओं का व समस्त हिंदी शिक्षकों व हिंदी प्रेमियों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय हिंदी संस्थान, मैसूर केंद्र के अतिथि प्रवक्ता शिव दत्त ने किया। कार्यक्रम में कर्नाटक के विभिन्न स्थानों से लगभग 80 हिंदी विद्वान, पदाधिकारी, शिक्षक एवं हिंदी प्रेमियों ने सहभागिता की।

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