हिंदी-मराठी में काल संरचना: व्यतिरेकी अध्ययन
सारांश- भाषावैज्ञानिक दृष्टि से वाक्य भाषा की सबसे बड़ी इकाई है। क्रिया वाक्य का केंद्रीय घटक होती है, जो संपूर्ण वाक्य को नियंत्रित करने का कार्य करती है। क्रिया-पदबंध एक गुंफित संरचना है, जिसके किसी भी अंश को निकालने से वाक्य का अर्थ भंग होता है। क्रिया पदबंध में मुख्य क्रिया द्वारा जहाँ कोशीय सूचना प्राप्त होती है वहीं सहायक क्रियाओं द्वारा व्याकरणिक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। व्याकरणिक सूचना से तात्पर्य है काल, पक्ष, वृत्ति और वाच्य। क्रिया पदबंध में कई बार क्रियाओं के धातु रूप के साथ ही प्रत्यय जुड़ता है जो व्याकरणिक सूचनाएं प्रदान करता है जैसे- जाएगा में ‘एगा’ प्रत्यय के द्वारा पुल्लिंग, उत्तम पुरुष, भविष्य काल, अपूर्ण पक्ष आदि जाऊँगा में ‘ऊँगा’ तो जाऊँगी में ‘ऊँगी’ प्रत्यय द्वारा अलग-अलग व्याकरणिक सूचना मिलती है। इस शोध में केवल हिंदी और मराठी काल संरचना का विश्लेषण किया गया है।
हिंदी-मराठी में काल की संरचना
हिंदी और मराठी भाषा में काल की संरचना में कई समानताएँ और विषमताएँ दिखाई देती है। काल का अर्थ है क्रिया घटित होने का समय। काल के द्वारा हमें यह सूचनाएं मिलती हैं कि क्रिया अभी घटित हुई है, या पहले घटित हो चुकी है या घटित होने वाली है। समय के आधार पर इसके प्रमुख तीन प्रकार वर्तमान, भुत और भविष्य है। इन तीनों कालों के उपभेद भी है जिसका विश्लेषण निम्न रूप से किया है-
हिंदी-मराठी में वर्तमान काल संरचना-
अ) सामान्य वर्तमान काल संरचना- हिंदी में वर्तमान काल की संरचना में क्रिया या धातु के मूल रूप में ‘ता’ प्रत्यय जुड़ता है जिसके लिंग और वचन के अनुसार ‘ता’, ‘ती’, ‘ते’ रूपों का प्रयोग किया जाता है। लिंग, वचन, पुरुष के अनुसार ‘होना’ सहायक क्रिया के चार रूपों का प्रयोग हिंदी में होता है, जैसे- हूँ, है, हो, हैं आदि। निम्न उदाहरणों के आधार पर इसे और अच्छी तरह से समझ सकते है – उदाहरण- (1) मैं जाता/जाती हूँ। (2) तुम जाते/जाती हो। (3) वह जाता/जाती है। (4) वे जाते/जाती हैं।
उपर्युक्त उदाहरणों में यह दिखाई देता है कि उत्तम पुरुष एकवचन के साथ ‘हूँ’, मध्यम पुरुष ‘तुम’ के साथ ‘हो’ तथा अन्य पुरुष में ‘है’ तथा बहुवचन में ‘हैं’ का प्रयोग हुआ है। इस आधार पर हिंदी में वर्तमान काल की संरचना ‘धातु+ता/ते/ती+हूँ/है/हो/हैं’ है।
हिंदी में ‘होना’ सहायक क्रिया के चारों रूपों का प्रयोग सभी लिंग, वचन, पुरुष में होता है। मराठी में ‘अस’ सहायक क्रिया का प्रयोग होता है जो हिंदी के ‘होना’ के समान है। हिंदी के ‘होना’ की अपेक्षा मराठी में ‘अस’ के आहेस, असतो, असती, असते, आहो, आहा, आहेत, असतोस, असतेस, असतात आदि ज्यादा प्रयोग मिलते हैं।
हिंदी में सामान्य वर्तमान काल में ‘होना’ या इसका कोई न कोई रूप का जरूर प्रयोग में आता है किंतु मराठी में ‘अस’ के रूप का प्रयोग नहीं होता। हिंदी में इस काल की रचना में धातु के साथ प्रत्यय लगकर सहायक क्रिया का भी प्रयोग होता है किंतु मराठी में इसकी रचना में एक पद की क्रियाएँ ही प्रयोग होती है। निम्न उदाहरणों के आधार पर यह अधिक स्पष्ट होगा-
हिंदी | मराठी | ||
एकवचन | (1) मैं दौड़ता/दौड़ती हूँ। | एकवचन | (1) मी धावतो/धावते. |
(2) तू दौड़ता/दौड़ती है। | (2) तू धावतोस/धावतेस. | ||
(3) वह दौड़ता/दौड़ती है। | (3) तो धावतो/ती धावते/ते धावतात. | ||
बहुवचन | (4) हम दौड़ते हैं। | बहुवचन | (4) आम्ही धावतो. |
(5) तुम दौड़ते/दौड़ती हो। | (5) तुम्ही धावता. | ||
(6) आप दौड़ते हैं/दौड़ती हैं। | (6) आपण धावता. | ||
(7) वे दौड़ते हैं/दौड़ती हैं। | (7) ते/त्या/ती जातात. |
उपर्युक्त उदाहरणों के आधार पर हिंदी तथा मराठी में सामान्य वर्तमान काल में क्रिया की संरचना निम्न प्रकार से होती है-
हिंदी- धातु+त्+आ/ई/ए(GNP प्रत्यय)+सहायक क्रिया ‘होना का रूप’ (GNP)
मराठी- धातु+त्+ओ/ए/ओस/एस/आ/आत(GNP)
सामान्य वर्तमान काल के बहुवचन में हिंदी की अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया कर्ता के लिंग से प्रभावित होती है जबकि मराठी में इस काल के बहुवचन में क्रिया अकर्मक हो या सकर्मक कर्ता के लिंग का कोई प्रभाव नहीं होता। हिंदी में पुरुष का प्रभाव केवल ‘मैं’ और ‘तुम’ शब्दों के साथ दिखाई देता है। जहाँ ‘मैं’ कर्ता है वहाँ सहायक क्रिया ‘हूँ’ तथा ‘तुम’ के साथ ‘हो’ का प्रयोग होता है। बाकि क्रिया रूपों में पुरुष के कारण कोई अंतर नहीं होता। उदाहरण के लिए मध्यम पुरुष एकवचन ‘तू’ अन्य पुरुष एकवचन ‘वह’ आदि के साथ ‘है’ का प्रयोग होता है। तीनों पुरुषों में बहुवचन में ‘हैं’ का प्रयोग होता है, जैसे- हम, आप, वे। मराठी में तीनों पुरुषों में भिन्न रूप होते हैं। मराठी में केवल मुख्य क्रिया ही होती है, सहायक क्रिया नहीं होती।
ब) अपूर्ण वर्तमान काल संरचना– क्रिया के संदर्भ में जब क्रिया की अपूर्णता का बोध हो तब यह अपूर्ण काल होता है। हिंदी में अपूर्ण वर्तमान काल की रचना में ‘रह’ क्रिया का प्रयोग होता है। जैसे- (1) भाई अपनी बहन को पढ़ा रहा है। (2) नीलिमा गा रही है। (3) वे आ रहे हैं। इन तीनों उदाहरणों में ‘रह’ क्रिया का प्रयोग हुआ है जिसमें कर्ता के लिंग, वचन, पुरुष के अनुसार आ, ई, ए प्रत्यय जुड़ता है। इसके साथ ही ‘होना’ के रूप लिंग, वचन, पुरुष के अनुसार प्रयुक्त होते हैं। निम्न उदाहरणों के आधार पर इसका और विश्लेषण किया गया है- उदाहरण-
पुरुष/लिंग | एकवचन | बहुवचन |
उत्तम पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | मैं पढ़ रहा/रही हूँ। | हम पढ़ रहे/रही हैं। |
मध्यम पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | तू पढ़ रहा/रही है। | तुम पढ़ रहे/रही हो। |
अन्य पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | वह पढ़ रहा/रही है। | वे पढ़ रहे/रही हैं। |
इन उदाहरणों के आधार पर यह दिखाई देता है कि हिंदी में अपूर्ण वर्तमान काल की संरचना में मुख्य क्रिया के साथ दो सहायक क्रियाएँ प्रयुक्त होती हैं। लेकिन मराठी में इस काल की संरचना में केवल एक ही सहायक क्रिया प्रयुक्त होती है। मराठी में क्रिया के मूल धातु रूप के साथ ‘त’ प्रत्यय जुड़ता है। इस ‘त’ प्रत्यय के कभी-कभी ‘इत’, ‘अत’ आदि रूप भी प्रयुक्त होते है, जैसे- खा+त = खात, लिह्+इत= लिहित आदि। (‘त’ प्रत्यय का प्रयोग सबसे अधिक होता है।)
मराठी में अपूर्ण वर्तमान काल की संरचना में ‘अस’ सहायक क्रिया के आहे, आहो, आहेस, आहा, आहेत, आहोत, आहात आदि कई रूपों का प्रयोग किया जाता है। दोनों भाषाओं में प्रयुक्त होने वाले धातु के उदाहरण के आधार पर इसे और स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। जैसे-
उदाहरण- धातु- लिख (हिंदी) लिह (मराठी)
पुरुष/लिंग | हिंदी एकवचन | मराठी एकवचन | हिंदी बहुवचन | मराठी बहुवचन |
उत्तम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | मैं लिखरहा/रही हूँ। | मी लिहित आहे. | हम लिख रहे हैं। | आम्ही लिहित आहोत. |
मध्यम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | तू लिखरहा/रही है। | तू लिहित आहेस. | तुम लिख रहे/रही हो। | तुम्ही लिहित आहात. |
अन्य पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | वह लिख रहा/रही है। | तो/ती/ते लिहित आहे. | वे लिख रहे/रही हैं। | ते/त्या लिहित आहेत. |
उपर्युक्त उदाहरणों के आधार पर देखे तो तीनों पुरुष और बहुवचन में ‘लिहित’ रूप समान है अर्थात् इस काल की संरचना लिंग से प्रभावित नहीं होती। जबकि हिंदी में ‘होना’ सहायक क्रिया के पहले प्रयुक्त ‘रह’ सहायक क्रिया वचन और लिंग से प्रभावित होती है, जैसे- रह-रहा, रही, रहे आदि। हिंदी तथा मराठी में अपूर्ण वर्तमान काल में क्रिया की संरचना निम्न प्रकार से होती है-
हिंदी- धातु+रह आ/ई/ए(GNP प्रत्यय)+सहायक क्रिया ‘होना का रूप’वचन के अनुसार
मराठी- धातु+त/ईत/अत+सहायक क्रिया ‘अस’ के रूप ओ/ए/ओस/एस/आ/आत(GNP)
क) पूर्ण वर्तमान काल- वर्तमान काल में जब क्रिया से यह सुचना मिले कि क्रिया पूर्ण हो चुकी है तब इसे पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। जैसे- (1) मैंने ग्रंथ पढ़ा है। (2) पियूष नागपुर गया है। इन दोनों उदाहरणों में पहले उदाहरण के ‘पढ़ा’ और दुसरे उदाहरण के ‘गया’ से यह सुचना मिलती है कि क्रिया पूर्ण हो चुकी है और होना के ‘है’ रूप से यह सुचना मिलती है कि यह कार्य वर्तमान में पूर्ण हो चूका है इसलिए यह पूर्ण वर्तमान काल है। पूर्ण वर्तमान काल के क्रिया रूप से निकटतम कार्य किए जाने का बोध होता है। निम्न उदाहरणों द्वारा इसे अधिक स्पष्ट किया गया है-
उदाहरण-
पुरुष/लिंग | एकवचन | बहुवचन |
उत्तम पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | मैं दौड़ा/दौड़ी हूँ। | हम दौड़े/दौड़ी हैं। |
मध्यम पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | तू दौड़ा/दौड़ी है। | तुम दौड़े/दौड़ी हो। |
अन्य पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | वह दौड़ा/दौड़ी है। | वे दौड़े/दौड़ी हैं। |
इन उदाहरणों के आधार पर देखे तो हिंदी में पूर्ण वर्तमान काल की संरचना निम्न प्रकार की होती है-
धातु+ आ/ए/ई (प्रत्यय) + हूँ/है/हो/हैं
मराठी भाषा में पूर्ण वर्तमान काल की संरचना का निर्माण धातु में ‘ल’ प्रत्यय के साथ ‘आ’, ‘ई’, ‘ऐ’ लिंग, वचन, पुरुष प्रत्यय जुड़ने से होता है तथा उस क्रिया के आगे ‘अस’ सहायक क्रिया के रूप प्रयुक्त होते हैं। यदि वाक्य की क्रिया अकर्मक हो तो क्रिया के साथ उद्देश्य के अनुसार तथा क्रिया सकर्मक हो तो क्रिया के साथ कर्म के अनुसार ‘अस’ के रूप का प्रयोग होता है। उदाहरण- (1) मुली गेल्या आहेत. (लडकियाँ गयी हैं) (2) मानसी आली आहे. (मानसी आयी है।) इन दोनों उदाहरणों में क्रियाएँ अकर्मक है इसलिए ‘अस’ के रूप वाक्य में कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार प्रयोग किए जाते हैं। यदि क्रियाएँ सकर्मक हों तो ‘अस’ के रूप कर्म के अनुसार प्रयुक्त होते हैं जैसे- (1) तिने हे पत्र वाचले आहे. (उसने यह पत्र पढ़ा है।) (2) मी हा सिनेमा बघितला आहे. (मैंने यह सिनेमा देखा है।) इन उदाहरणों के आधार पर मराठी में पूर्ण वर्तमान काल की संरचना निम्न प्रकार की होती है-
धातु+आ/ए/ई/ल्या/ला GNP (प्रत्यय)+ अस धातु के रूप
ड) रीति वर्तमान काल– हिंदी में रीती वर्तमान काल का अर्थ सहायक क्रियाओं के द्वारा प्राप्त होता है। इसमें एक से अधिक क्रियापदों से सातत्य का बोध होता है इसलिए इसे सातत्यबोधक काल भी कहते है। इस काल से क्रिया के विषय में यह सुचना मिलती है कि क्रिया एक लम्बे समय से होती आ रही है जैसे- (1) वह पढाता आ रहा है। (२) रतन काम करता आ रहा है। इन दोनों वाक्यों की क्रिया संरचना से यह सूचित होता है कि पहले वाक्य में पढ़ाने की और दूसरे वाक्य में काम करने की क्रिया एक लम्बे समय से सातत्य पूर्ण पद्धति से हो रही है। हिंदी में इस काल की संरचना का निर्माण मुख्य क्रिया का भूतकालिक कृदंत+कर का वर्तमान कृदंत+’होना’ सहायक क्रिया का वर्तमान रूप आदि से होता है।
मराठी में इस काल की संरचना में मुख्य क्रिया का वर्तमानकालिक कृदंत+ सहायक क्रिया ‘अस’ का सामान्य वर्तमानकाल के रूप का प्रयोग होता है। उदाहरण- (1) तो रविवारी सिनेमा पाहत असतो. (२) तो रोज व्यायामाला जात असतो. इन दोनों वाक्यों में से पहले वाक्य में पाहण्याची क्रिया (देखने की क्रिया) और दुसरे वाक्य में जाण्याची (जाने की) क्रिया काफी समय पहले से निरंतर होते आ रही है इसलिए यह रीती वर्तमान काल है। मराठी में इस काल की संरचना निम्न प्रकार से बनती है-
मुख्य क्रिया वर्तमान कृदंत+अस का सामान्य वर्तमानकालीन रूप
हिंदी-मराठी में भूत काल संरचना
वाक्य में क्रिया के द्वारा जब हमें यह सुचना मिलती है कि क्रिया पहले ही संपन्न हो चुकी है तब उस काल को भूतकाल कहते हैं। भूत काल में होने वाली क्रिया संरचना के आधार पर इसके सामान्य, अपूर्ण, पूर्ण और रीतिकाल आदि उपभेद किए जाते है। इन उपभेदों का विश्लेषण और उनकी संरचना का विश्लेषण निम्न किया गया है-
अ) सामान्य भूतकाल – जिस क्रिया-पदबंध संरचना के सहायक क्रिया से यह सुचना मिलती है कि क्रिया का कार्य पहले ही हो चूका है तब वह काल भूतकाल होता है। जैसे- (1) राहुल गया। (2) प्रकाश आया। इन दोनों वाक्यों में ‘गया’ और ‘आया’ क्रिया से क्रिया भूतकाल में संपन्न होने की सुचना मिलती है इसलिए यह सामान्य भूतकाल है। हिंदी में इस काल के निर्माण में सामान्यता: धातु के साथ ‘आ’ प्रत्यय लगता है जिसमें लिंग, वचन के अनुसार ‘ए’, ‘ई’, ‘यें’ आदि परिवर्तन होता है। मराठी में इसकी संरचना का निर्माण धातु के मूल रूप में लिंग, वचन के अनुसार ‘ला’, ‘ली’, ‘ले’, ‘ल्या’ ‘लो’ आदि प्रत्यय जोड़ने से होता है।
हिंदी में ‘होना’ क्रिया के भूतकालिक रूप केवल लिंग और वचन से प्रभावित होते है किंतु मराठी में लिंग, वचन के साथ-साथ पुरुष से भी प्रभावित होते है। इसलिए हिंदी में ‘होना’ क्रिया के भूतकालिक रूप केवल चार (था, थी, थे, थीं) है किंतु मराठी में इसके कई प्रयोग मिलते हैं- जैसे-होता, होतास, होतात, होते, होतीस, होती, होत्या, होतेस आदि।
क्रिया अकर्मक हो तो हिंदी में सामान्य भूतकाल के एकवचन में क्रिया पर कर्ता के लिंग का प्रभाव पड़ता है इस काल में क्रियाओं का रूप पुरुष के प्रभाव से निरपेक्ष रहता है। किंतु मराठी में एकवचन अकर्मक क्रिया पर कर्ता के लिंग के साथ-साथ पुरुष का भी प्रभाव पड़ता है विशेष करके मध्यम पुरुष में कर्ता के पुरुष का प्रभाव। जैसे- अकर्मक क्रिया
हिंदी- (1) मैं गया/गयी। (2) तू गया/गयी। (3) वह गया/गयी।
मराठी- (1) मी गेलो/गेले. (2) तू गेलास/गेलीस. (3) तो गेला/ ती गेली/ ते गेले.
हिंदी में क्रिया सकर्मक हो तो कर्म के लिंग, वचन का प्रभाव क्रिया पर पड़ता है। मराठी में भी सकर्मक क्रिया होने पर कर्म के लिंग और वचन का प्रभाव पड़ता है। सकर्मक क्रिया के सामान्य भूतकाल के कर्ता के साथ हिंदी में ‘ने’ परसर्ग का प्रयोग तीनों पुरुषों में होता है किंतु मराठी में केवल अन्य पुरुष के साथ ही ‘ने’ का प्रयोग होता है। जैसे-
सकर्मक क्रिया- करना
हिंदी उदाहरण | मराठी व्याकरण |
मैं + ने= मैंने किया। | मी केल/केले. |
तू + ने= तूने किया। | तू केलास/केलीस/केलेस. |
उस+ने= उसने किया। | त्या+ने= त्याने केल.ति+ने= तिने केल.त्या+ने= त्याने केले. |
हिंदी के सामान्य भूत काल बहुवचन संरचना में क्रिया यदि अकर्मक हो तो क्रिया कर्ता के लिंग का अनुसरण करती है । मराठी में इस काल के बहुवचन में यदि क्रिया अकर्मक हो तो क्रिया के उत्तम और मध्यम पुरुष में कर्ता के केवल पुरुष को स्पष्ट करती है, लिंग को प्रभावित नहीं करती। लेकिन अन्य पुरुष में कर्ता के लिंग के प्रभाव को स्पष्ट करती है। निम्न उदाहरणों के आधार पर यह अधिक स्पष्ट होगा-
अकर्मक क्रिया- ‘जाना’
हिंदी उदाहरण | मराठी व्याकरण |
हम गए/गई ।तुम गए/गई ।वे/आप गए/गई। | आम्ही गेलो.तुम्ही गेलात.ते गेले, त्या गेल्या, ती गेली. |
हिंदी में यदि क्रिया सकर्मक हो तो कर्म के लिंग और वचन का अनुसरण करती है। सकर्मक क्रिया के मध्यम पुरुष में मराठी कर्ता का पुरुष दिखाती है और तीनों पुरुषों में कर्म का लिंग तथा वचन दिखाती है। जैसे- सकर्मक क्रिया- करना
हिंदी उदाहरण | मराठी व्याकरण |
हम ने किया।तुम ने किया।आपने किया। आप किए। | आम्ही केले/केल्या/केली.तुम्ही/आपण केलेत/केल्यात/.त्यांनी केले/केल्या/केली. |
ब) अपूर्ण भूतकाल- जिस क्रिया रूप से हमें यह सुचना प्राप्त होती है कि क्रिया अतीत में संपन्न हो चुकी हो किंतु इससे क्रिया के पूर्णत्व का बोध न हो कि क्रिया की पूर्ति कब हुई या क्रिया भूतकाल में निरंतर चल रही थी तो ऐसी स्थिति को अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। जैसे- रतन जा रहा था। इस वाक्य में ‘था’ से यह सुचना मिलती है कि यह घटना भूतकाल की है किंतु ‘रह’ से यह पता नहीं चलता कि क्रिया पूर्ण हुई है या नहीं। ‘रहना’ सहायक क्रिया के लिंग और वचन के आधार पर रहा, रही, रहे आदि रूप प्रयुक्त होते है। इस काल में ‘होना’ जो क्रिया का भूतकालिक रूप है इसमें भी लिंग और वचन के अनुसार था, थी, थे, थीं आदि प्रयोग होते हैं। निम्न उदाहरणों के आधार पर यह और अधिक स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है-
लिंग/वचन | धातु | सहायक क्रिया | उदाहरण- वाक्य |
पुल्लिंग/एकवचन | जा | रहा था | मैं जा रहा था। |
स्त्रीलिंग/एकवचन | जा | रही थी | मैं जा रही थी। |
पुल्लिंग/एकवचन | जा | रहे थे | हम जा रहे थे |
स्त्रीलिंग/बहुवचन | जा | रही थीं | वे जा रही थीं। |
उपर्युक्त तालिका में दिए गए उदाहरणों के आधार पर हिंदी में अपूर्ण भूतकाल की संरचना निम्न प्रकार से होती है- धातु+ रह/रहा/रही/रहे (सहायक क्रिया)+था/थी/थे/थीं।
मराठी में अपूर्ण भूतकाल की रचना अपूर्ण वर्तमान काल के जैसे ही होती है। केवल क्रियाओं के रूपों के साथ ‘आहे’ सहायक क्रिया के भूतकालिक रूप प्रयुक्त होते हैं। जैसे- (1) जितेन्द्र पुस्तक वाचीत होता. (2) पाऊस पडत होता. इन दोनों वाक्यों में से पहले वाक्य में ‘वाच’ धातु के साथ ‘ईत’ प्रत्यय तो दुसरे वाक्य में ‘पड’ धातु के साथ ‘त’ प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है जो क्रिया की अपूर्ण स्थिति को दर्शाता है। इसी के साथ दोनों वाक्यों में ‘होता’ सहायक क्रिया का प्रयोग हुआ है जो भूतकाल की सुचना देता है। कुछ निम्न उदाहरणों द्वारा इसे स्पष्ट किया गया है-
पुरुष/लिंग | एकवचन उदाहरण | बहुवचन उदाहरण |
उत्तम पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | मी खात होतो/होते. | आम्ही खात होतो/होते. |
मध्यम पुरुष/पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | तू खात होतास/होतीस. | तुम्ही खात होतात/होते/होता. |
अन्य पुरुष.पुल्लिंग/स्त्रीलिंग | तो/ती/ते खात होता/होती/होते. | ते/त्या/ती खात होते/होत्या/होती. |
उपर्युक्त तालिका में दिये गये उदाहरणों के आधार पर मराठी में अपूर्ण भूतकाल की संरचना का निर्माण निम्न रूप से होता है- धातु+त+ आहे सहायक क्रिया के भूतकालिक रूप (लिंग,वचन/पुरुष अनुसार)।
क) पूर्ण भूतकाल- पूर्ण भूतकाल से यह सुचना मिलती है कि क्रिया भूतकाल में पूर्ण हो चुकी है। जैसे- वाक्य (1) अमोल गया था। वाक्य (2) अर्ची गयी थी। इन दोनों वाक्य में गया और गई से क्रिया के पूर्णत्व की स्थिति का बोध होता है तो था और थी से भूतकाल के संदर्भ में सुचना मिलती है इसलिए यह पूर्ण भूतकाल है। हिंदी में इस काल की संरचना धातु के साथ आ/ई/ये (लिंग,वचन) प्रत्यय एवं ‘होना’ सहायक क्रिया के भूतकालिक रूप था/थी/थे (लिंग,वचन के अनुसार) से निर्मित होती है। निम्न उदाहरणों के आधार पर इसे और स्पष्ट रूप से समझ सकते है-
लिंग/वचन | धातु | सहायक क्रिया | उदाहरण- वाक्य |
पुल्लिंग/एकवचन | जा | गया था | मैं गया था। |
स्त्रीलिंग/एकवचन | जा | गई थी | मैं गई थी। |
पुल्लिंग/एकवचन | जा | गए थे | हम गएथे। |
स्त्रीलिंग/बहुवचन | जा | गई | वे गई थीं। |
उपर्युक्त उदाहरणों के आधार पर पूर्ण भूतकाल की संरचना निम्न प्रकार से बनती है-
धातु+या/ई/ये भूतकालिक प्रत्यय (लिंग/वचन के अनुसार)+था/थी/थे/थीं (‘होना’ सहायक क्रिया के भूतकालिक रूप)
मराठी में पूर्ण भूतकाल के लिए क्रियाओं के रूप पूर्ण वर्तमान काल जैसे ही निर्मित होते हैं लेकिन केवल उस रूप के साथ ‘आहे’ सहायक क्रिया के भूतकालिक रूप प्रयुक्त होते हैं। जैसे- (1) अंशुने कविता वाचली होती. (2) रणजीत ने पुस्तक लिहिले होते. इन दोनों वाक्यों में से पहले वाक्य के वाचली में ‘वाच’ धातु के साथ ‘ली’ और दुसरे वाक्य के लिहिले में ‘लिह’ धातु के साथ ‘इले’ प्रत्यय जुड़ा है जो क्रिया पूर्ण होने का भाव प्रकट करता है तो ‘होती’और ‘होते’ सहायक क्रिया रूपों द्वारा भूतकाल के संदर्भ में सुचना मिलती है। इसलिए यह पूर्ण भूतकालिक संरचना है। इस काल की संरचना निम्न रूप से होती है-
धातु+ला/लो/ल्या/ले/ली/ल/लेल/लेलो प्रत्यय (लिंग, वचन के अनुसार)+होता/होती/होते/होतात/होत्या/होतास (आहे सहायक क्रिया के भूतकालिक रूप, लिंग,वचन,पुरुष के अनुसार)
ड) रीति भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह सुचना मिलती है कि भूतकाल में कोई क्रिया बहुत लम्बे समय से होती आ रही है तब वह रीति भूतकाल होता है। हिंदी में इस काल की रचना एक ही प्रकार से होती है जैसे- लडकें खेला करते थे। किंतु मराठी में इसके लिए तीन तरह की रचना का प्रयोग होता है। जैसे- मुले खेळत/खेळायची/खेळत असत. हिंदी में रीति भूतकाल का अर्थ सहायक क्रियाओं के द्वारा प्राप्त होता है। इसमें एक से अधिक क्रियापदों से सातत्य का बोध होता है इसलिए इसे सातत्यबोधक काल भी कहते हैं। इस काल से क्रिया के विषय में यह सुचना मिलती है कि क्रिया एक लम्बे समय से होती आ रही है जैसे- (1) वह पढ़ाता था। (2) रतन काम किया करता था। इन दोनों वाक्यों की क्रिया संरचना से यह सूचित होता है कि पहले वाक्य में पढ़ाने की और दूसरे वाक्य में काम करने की क्रिया एक लम्बे समय से सातत्य पूर्ण पद्धति से हो रही है जो भूतकाल की है क्योंकि इन वाक्यों के अंत में ‘था’ से भूतकाल के संदर्भ में सुचना मिलती है। हिंदी में इस काल की संरचना का निर्माण मुख्य क्रिया का भूतकालिक कृदंत+कर का वर्तमान कृदंत+’होना’ सहायक क्रिया का भूतकालिक रूप आदि से होता है।
मराठी में इस काल की संरचना में मुख्य क्रिया का वर्तमानकालिक कृदंत+ सहायक क्रिया ‘अस’ का सामान्य भूतकाल के रूप का प्रयोग होता है। उदाहरण- (1) तो रविवारी सिनेमा पाहतो. (2) तो रोज व्यायामाला जात असे. इन दोनों वाक्यों में से पहले वाक्य में पाहण्याची क्रिया (देखने की क्रिया) और दुसरे वाक्य में जाण्याची (जाने की) क्रिया काफी समय पहले से निरंतर होते आ रही है इसलिए यह रीति भुतकाल है। मराठी में इस काल की संरचना निम्न प्रकार से बनती है- मुख्य क्रिया वर्तमान कृदंत+अस का सामान्य भूतकालिक रूप
हिंदी-मराठी में भविष्य काल संरचना
वाक्य में क्रिया के द्वारा जब हमें यह सुचना मिलती है कि क्रिया अभी शुरू नहीं हुई लेकिन यह भविष्य में संपन्न होने की संभावना हो तब उस काल को भविष्य काल कहते हैं। भविष्य काल में होनेवाली क्रिया संरचना के आधार पर इसके सामान्य, अपूर्ण, और रीति काल आदि उपभेद किए जाते हैं। इन उपभेदों का विश्लेषण और उनकी संरचना का विश्लेषण निम्न किया गया है-
अ) सामान्य भविष्य काल- हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में इस काल की संरचना में मुख्य क्रिया में कुछ प्रत्यय जुड़ते हैं जो भविष्य काल की सुचना देते हैं। हिंदी में लिंग, वचन, पुरुष का प्रभाव अकर्मक एवं सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं पर दिखाई देता है किंतु मराठी में सामान्य भविष्य काल की क्रियाओं पर लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता केवल वचन और पुरुष का प्रभाव ही पड़ता है। अकर्मक एवं सकर्मक क्रिया के कुछ उदाहरण के आधार पर इसे निम्न रूप से स्पष्ट किया गया है-
अकर्मक क्रिया- ‘जा’
पुरुष/लिंग/वचन/ | हिंदी उदाहरण | मराठी उदाहरण |
उत्तम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | मैं जाऊँगा/जाऊँगी। | मी जाईन. |
मध्यमपु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | तू जाएगा/जाएगी। | तू जाशील. |
अन्य पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | वह जाएगा/जाएगी। | तो/ती/ते जाईल. |
उत्तम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | हम जाएँगे। | आम्ही जाऊ. |
मध्यमपु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | तुम/आप जाओगे/जाओगी। | तुम्ही/आपण जाल. |
अन्य पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | वे/आप जाएँगे/जाएँगी। | ते/त्या/ती जातील. |
सकर्मक क्रिया- ‘खा’
पुरुष/लिंग/वचन/ | हिंदी उदाहरण | मराठी उदाहरण |
उत्तम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | मैं खाऊँगा/खाऊँगी। | मी खाईन. |
मध्यमपु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | तू खाएगा/खाएगी। | तू खाशील. |
अन्य पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | वह खाएगा/खाएगी। | तो/ती/ते खाईल. |
उत्तम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | हम करेंगे। | आम्ही खाऊ. |
मध्यमपु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | तुम/आप खाओगे/खाओगी। | तुम्ही/आपण खाल. |
अन्य पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | वे/आप खाएँगे/खाएँगी। | ते/त्या/ती खातील. |
उपर्युक्त उदाहरणों के आधार पर देखा जा सकता है कि हिंदी के उदाहरणों में अकर्मक और सकर्मक क्रियाओं में लिंग, वचन, पुरुष का प्रभाव है किंतु मराठी में केवल पुरुष और वचन का ही प्रभाव होता है लिंग का नहीं।
मराठी में दोनों वचनों में सभी पुरुषों के रूप में भिन्नताएँ हैं किंतु हिंदी में एकवचन में मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष के क्रिया रूप समान होते हैं जैसे- हिंदी में- जाएगा/जाएगी (मध्यम पुरुष/अन्य पुरुष एकवचन)।
ब) अपूर्ण भविष्य काल- हिंदी तथा मराठी दोनों भाषाओं में इस काल में अपूर्ण वर्तमान और अपूर्ण भूतकाल की तरह ही क्रिया रूप प्रयुक्त होते हैं। हिंदी में इस काल की संरचना में एक मुख्य क्रिया तथा दो सहायक क्रियाओं का प्रयोग होता है। किंतु मराठी में इस काल की संरचना में एक मुख्य क्रिया जिसके साथ प्रत्यय जुड़ता है तथा एक सहायक क्रिया का प्रयोग किया जाता है। हिंदी में इस काल की रचना में ‘होना’ क्रिया के भविष्यकालीन रूप प्रयुक्त किए जाते हैं तो मराठी में ‘अस’ क्रिया के भविष्यकालीन रूप प्रयुक्त होते हैं। कुछ निम्नलिखित उदाहरणों के आधार पर इसे स्पष्ट किया है-
जैसे- (हिंदी) (1) खा रहा होगा। (2) आ रहा होगा।
(मराठी) (1) खात असेल. (2) येत असेल.
हिंदी में इस काल की रचना में क्रिया रूपों पर लिंग, वचन, पुरुष का प्रभाव दिखाई देता है किंतु मराठी में इस काल के क्रिया रूपों पर लिंग का प्रभाव न होकर केवल वचन और पुरुष का ही प्रभाव होता है। निम्न तालिका में कुछ उदाहरण दिए गए हैं-
पुरुष/लिंग/वचन | हिंदी उदाहरण | मराठी उदाहरण |
उत्तम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | मैं खा रहा होगा/रही होगी। | मी खात असेन/असेल. |
मध्यमपु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | तू खा रहा होगा/रहीहोगी। | तू खात असशील. |
अन्य पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/एकवचन | वह खा रहा होगा/रही होगी। | तो/ती/ते खात असेल. |
उत्तम पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | हम खा रहे होंगे/रही होंगी। | आम्ही खात असू. |
मध्यमपु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | तुम/आप खा रहे होंगे/रही होंगी । | तुम्ही खात असाल. |
अन्य पु./पुल्लिंग/स्त्रीलिंग/बहुवचन | वे खा रहे होंगे/रही होंगी। | ते/त्या/ती खात असतील. |
हिंदी में सामान्य भविष्य काल के रूपों में ‘रहना’ क्रिया का प्रयोग होता है जिसके द्वारा अपूर्णता का तो भाव होता ही है, किंतु संदेह और संभावना का भाव भी दिखाई देता है। यदि कोई व्यक्ति कही जाने का निश्चित है तो सामान्य भविष्य काल के रूप का प्रयोग करते हैं, जैसे- (1) प्रदीप नागपुर जाएगा। (2) प्रवीण डॉक्टर बनेगा। लेकिन जहाँ इस सम्बन्ध में संशय या संभावना को प्रकट करना हो तो वहां पर ‘रहना’ सहायक क्रिया का प्रयोग किया जाता है, जैसे- श्रेयात कल इस समय गाड़ी से जा रहा होगा। अतः इसे अपूर्ण भविष्य काल के बजाए संदिग्ध भविष्य काल कहना उचित होगा।
क) रीति भविष्य काल- हिंदी में इस काल की संरचना के निर्माण में भूतकालिक कृदंत+ ‘कर’ सहायक क्रिया के सामान्य भविष्य काल के रूप का प्रयोग होता है। जैसे- ‘वह जाया करेगा’ वाक्य में ‘जा’ धातु के साथ भूतकालिक कृदंत प्रत्यय ‘या’ तथा करेगा में ‘एगा’ भूतकालिक प्रत्यय है। मराठी में इस काल की संरचना के निर्माण में मुख्य क्रिया के वर्तमानकालिक कृदंत तथा मुख्य क्रिया के साथ भविष्यकालिक प्रत्यय जुड़कर प्रयुक्त होते हैं। जैसे- मी खात जाईल वाक्य में में ‘खा’ धातु के साथ ‘त’ वर्तमानकालिक कृदंत प्रत्यय तथा जाईल में ‘जा’ के साथ ईल भविष्यकालिक प्रत्यय जुड़ता है।
संदर्भिका
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