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ISSN : 2231-4989

:: किसी भी भाषा के सर्वांगपूर्ण व्याकरण में उस भाषा के रूपांतरों और प्रयोगों का इतिहास लिखना आवश्यक है। - कामता प्रसाद गुरू (हिंदी व्याकरण, पृष्ठ-7) - ::

अनुवाद-चिंतन


गोदान के अनुवाद का भाषिक विश्लेषण : समाज सापेक्ष – सुबोध कुमार

गोदान के अनुवाद का भाषिक विश्लेषण : समाज सापेक्ष – सुबोध कुमार

किसी समाज के मनोविज्ञान को समझने के लिए उसकी संबोधन शब्दावली एक महत्त्वपूर्ण और उपादेय सामग्री सिद्ध हो सकती है। संबोधन शब्दों के प्रयोग से व्यक्ति और समाज के स्तर का भी बोध होता है। “इस विषय की ओर सर्वप्रथम अमरीकी और यूरोप के कुछ समाज-भाषावैज्ञानिकों का धयान गया जिसमें ‘गिलमैन’&

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News: >>प्रकाशकीय नीति >>संकटग्रस्त भाषाओं के सर्वेक्षण का काम शुरू>> हेलो शब्द कहाँ से आया? >>देश की भाषाओं के लिए नई ऊर्जा से काम करने की आवश्यकता है